शनिवार, 20 नवंबर 2010

हर सवेरे में नज़र आएंगे


न ज़लज़ला आएगा, न सैलाब उमड़ेगा, 
न ये दुनिया नष्ट हो जाएगी मेरे जाने के बाद,
लोग कुछ रोज़ रो कर मुझे भूल जाएंगे,
किसी के आंसू में मेरे देखे ख़्वाब धुल जाएंगे,
मत अफ़सोस करना मेरे जाने बाद,
मुझे जो करना था मैं कर गया हूं,
ये न कहना वक़्त से पहले मर गया हूं,
मैंने जो किया रूबरू तुम्हारे शामों सहर आएंगे, 
हम सितारा बन के रातों को नहीं चमकेंगें आसमान में, 
हम तो आफ़ताब हैं हर सवेरे में नज़र आएंगे.