न ज़लज़ला आएगा, न सैलाब उमड़ेगा,
न ये दुनिया नष्ट हो जाएगी मेरे जाने के बाद,
लोग कुछ रोज़ रो कर मुझे भूल जाएंगे,
किसी के आंसू में मेरे देखे ख़्वाब धुल जाएंगे,
मत अफ़सोस करना मेरे जाने बाद,
मुझे जो करना था मैं कर गया हूं,
ये न कहना वक़्त से पहले मर गया हूं,
मैंने जो किया रूबरू तुम्हारे शामों सहर आएंगे,
हम सितारा बन के रातों को नहीं चमकेंगें आसमान में,
हम तो आफ़ताब हैं हर सवेरे में नज़र आएंगे.
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिब्यक्ति|
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों आप लोगो से दूर रहा .......
हटाएंअब फिर से ब्लोगवाणी से जुड़ रहा हूँ जल्द ही और भी नयी कविताएँ आपकी खिदमत में हाज़िर होंगी
सुन्दर अभिब्यक्ति...
जवाब देंहटाएंस्वप्न ही सही , हकीकत से भी ज्यदा मोहक हो तो तारीफ का हक़दार जरूर हो जाता है.
जवाब देंहटाएंsundar rachna.... waise to puri rachna hi bohot acchi hai par mujhe vishesh rup se
जवाब देंहटाएंमुझे जो करना था मैं कर गया ,
ये न कहना वक़्त से पहले मर गया
lines bohot acchi lagi :)
sundar rachna hai.saadhuvad.
जवाब देंहटाएंBAAS Voice का आमंत्रण :
जवाब देंहटाएंआज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
http://baasvoice.blogspot.com/
मनोभावों को सुंदर शब्दों में ढाला है.... बहुत खूब अनिल ...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंइस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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