शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

जरा ठहर बदलेगा ये वक़्त और ये दौर भी.

जरा ठहर बदलेगा ये वक़्त और ये दौर भी,
थके हैं कदम पर हिम्मत है अभी और भी ,
कर ले पूरी हर कोशिश,
जन्म लेती रहेंगी हसरते और भी
तेरे लिए वक़्त नहीं वक़्त के लिए तुझे ठहराना है ,
इसे ठहराने वाले आए थे और भी,
जरा ठहर बदलेगा ये वक़्त और ये दौर भी.

तुझसे ही तेरी परीक्षा है ,
इम्तहानों का दौर आगे चलेगा और भी ,
भरी है उड़ान तो इसे भर और भी,
तभी दिखेगा आकाश के पार है जहाँ और भी ,
जरा ठहर बदलेगा ये वक़्त और ये दौर भी.

सहमा है मन मायुसीयों का है दौर भी ,
एक गंतव्य ही तेरा ठिकाना नहीं मंजिलें हैं अभी और भी ,
इक भंवर ही नहीं कई तुफानो से टकराना है तुझे ,
कर ले हौसला चट्टानों सा,  दूर है शाहिल अभी और भी ,
जरा ठहर बदलेगा ये वक़्त और ये दौर भी.  

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