रविवार, 27 फ़रवरी 2022

मैं अपने गांव में अपना एक हिस्सा छोड़ आया हूं


मैं अपने गांव में अपना एक हिस्सा छोड़ आया हूं 
दीवारों पर लटकी खामोशी का किस्सा छोड़ आया हूं 
निवाले को भटकते मोती को भूखा छोड़ आया हूं 
टिक टिक करती घडी को चलता छोड़ आया हूं 
फिर कब आओगे वापस ये सवाल छोड़ आया हूं  
मैं अपने गांव में अपना एक हिस्सा छोड़ आया हूं 

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