शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022
टुकड़ा उनकी याद का आंखों में समाया है
गुरुवार, 21 अप्रैल 2022
शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022
अंधेरों को निचोड़ा है मैंने
गुरुवार, 14 अप्रैल 2022
असली फनकार तो मर गया
रोजी रोटी के चक्कर में मेरे भीतर का फनकार मर गया है,
जो ज़िंदा है आपके सामने है असली अदाकार तो मर गया है.
सोमवार, 11 अप्रैल 2022
सागर से कुछ बूंदें उधार में क्यों लूं
वक्त के सागर से कुछ बूंदें उधार में क्यों लूं,
प्यासा हूं सदियों का चंद रोज़ खैरात में क्यों लूं,
ज़िंदगी को अपनी मेहनत से तराशा है मैंने,
फिर मौत को तुमसे उपहार में क्यों लूं .
रविवार, 10 अप्रैल 2022
इंतहा
इंतजार में उसके इंतहा इस कदर हुई,
बिस्तर में हर रात आंखें तरबतर हुई,
नींद से पहले मुसलसल उसका ख्यालों में आना,
उसे भूलने की हर तरकीब बेअसर हुई,
उसके लौट आने की उम्मीद भी अब नहीं है,
उसे पता भी नहीं हमें तकलीफ किस कदर हुई,
उसे वापस आने पर अफसोस ही होगा,
उसे पाने की हर ख्वाहिश बेअसर हुई.
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022
उसने कीमत भी दी और मुझे छुआ तक नहीं
उसने कीमत भी दी और मुझे छुआ तक नहीं,
उसे देख कर मुझे एहसास कुछ हुआ क्यों नहीं,
वो क्या चाहता था उससे मैंने पूछा तक नहीं,
फ़क़ीर नहीं था क्योंकि मेरे दर तक आया था,
उसके आंखों में थी मुझ ही को पाने की हसरत,
फिर भी जाने क्यों उसने कुछ कहा क्यों नहीं?
ख़ामोशी की सदियां गुज़री हम दोनों के बीच,
निगाहें बोल रही थी जज्बातों के हर अल्फाज,
उसने पा लिया सब कुछ मुझे छुआ तक नहीं,
मेरा लुट गया सब कुछ मैंने कुछ कहा क्यों नहीं?