शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

अंधेरों को निचोड़ा है मैंने

चिराग यूं ही रोशन नहीं हुआ हर अंधेरों को निचोड़ा है मैंने,
उजालों से जा कर पूछना किस दहशत में उन्हें छोड़ा है मैंने,

सपना यूं ही साकार नहीं हुआ उम्मीदों को झिंझोड़ा है मैंने, 
ख़यालों से जा कर पूछना किस हालत में उन्हें छोड़ा है मैंने,
 
बाजार यूं ही असार नहीं हुआ उसके गुरुर को तोडा है मैंने, 
हाकिम से जा कर पूछना किस कीमत पे उन्हें छोड़ा है मैंने,
 
रकीब यूं ही बड़ा नहीं हुआ उसे उसके हाल पे छोड़ा है मैंने, 
दूसरों से जाकर पूछना किस आलम में उन्हें छोड़ा है मैंने,
 
गुल्ल्क यूं ही आबाद नहीं हुआ पाई पाई को जोड़ा है मैंने, 
अरमानो से जाकर पूछना किस कीमत पर उन्हें तोडा है मैंने,
 
हौसला यूं ही बुलंद नहीं हुआ अपने वजूद को निचोड़ा है मैंने,   
दुश्मनों से जाकर पूछना किस हैसियत में उन्हें छोड़ा है मैंने... 

1 टिप्पणी:

  1. गुल्ल्क यूं ही आबाद नहीं हुआ पाई पाई को जोड़ा है मैंने,
    अरमानो से जाकर पूछना किस कीमत पर उन्हें तोडा है मैंने,
    वाह वाह वाह क्या पंक्तियाँ हैं बहुत-बहुत बधाई

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