रविवार, 10 अप्रैल 2022

इंतहा 

इंतजार में उसके इंतहा इस कदर हुई, 

बिस्तर में हर रात आंखें तरबतर हुई, 

नींद से पहले मुसलसल उसका ख्यालों में आना, 

उसे भूलने की हर तरकीब बेअसर हुई, 

उसके लौट आने की उम्मीद भी अब नहीं है, 

उसे पता भी नहीं हमें तकलीफ किस कदर हुई, 

उसे वापस आने पर अफसोस ही होगा, 

उसे पाने की हर ख्वाहिश बेअसर हुई.

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